यूपी के सबसे भ्रष्ट विभागों में एक राज्य कर विभाग के प्रमुख सचिव एम. देवराज हटाए गए..

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राज्य कर विभाग में अफसरों और व्यापारियों के भ्रष्ट तंत्र की चूलें हिलाने, टैक्स चोरों की नकेल कसने और मनमानी पर अंकुश लगाने वाले आईएएस अधिकारी एम. देवराज ने 16 महीने में जो किया वो बेमिसाल है.
आईएएस एम. देवराज ने जीएसटी के 500 से ज्यादा ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जो किसी ब्यूरोक्रेट, मंत्री, विधायक, जज के रिश्तेदार थे. बरसों से मलाईदार पोस्ट पर तैनात ऐसे अफसरों का एम. देवराज ने तबादला किया. दो अफसरों की बर्खास्त किया.. 60 से ज्यादा अफसरों को निलंबित किया.. 400 से ज्यादा अफसरों को चार्जशीट और शो कॉस नोटिस जारी किए..

एम. देवराज राज की सख्ती से विभाग में हाहाकार मच गया.. सात अफसरों ने वीआरएस ले लिया.. तमाम अफसरों की संपत्तियों की उन्होंने गोपनीय जांच भी करा डाली. उन्होंने दस साल से रुकी अफसरों की ग्रेडेशन लिस्ट जारी कराई.

आईएएस एम. देवराज ने पान मसाला और लोहा इकाइयों के बाहर 24 घंटे सचल दलों की निगरानी की शुरुआत की तो बवाल मच गया.. उनके ऑफिस में एक बड़ा टीवी लगा है जिसमें कम से कम 30 जिलों में पान मसाला और लोहा इकाइयों के गेट के बाहर लगे कैमरे की रियल टाइम फुटेज मिलती है.
आईएएस एम. देवराज की नजरें दिनभर उसी टीवी से चिपकी रहती है..

बेशक एम. देवराज ब्यूरोक्रेसी में ईमानदार आईएएस के तौर पर पहचाने जाते हैं लेकिन उनकी सख्ती के चलते यूपी राजस्व वसूली में पिछड़ गया.. फ़िलवक्त जीएसटी को लेकर यूपी बिहार से भी पीछे हो गया है..

एम. देवराज की कार्यशैली भी विवादों में घिरी रही.. उन पर विभाग के अफसरों ने जातिवाद के आरोप लगाए. कहा गया वो एससी-एसटी को मलाईदार पोस्टिंग देते रहे हैं. अपने कार्यकाल में उन्होंने एक बार भी अधिकारी संगठनों के साथ बैठक नहीं की. उन पर एकतरफा कार्रवाई और सुनवाई का मौका न देने का आरोप भी लगा..

देवराज की छवि एक ईमानदार और तेजतर्रार अफसर की है जिसका फायदा उठाते हुए अफसरों और दलालों ने आपदा को अवसर बना लिया.. छोटे अफसरों और दलालों ने उनके नाम पर देवराज टैक्स चला दिया था.. हालांकि इसकी जानकारी होने के बाद उन्होंने कई अफसरों को नापा भी.

.देवराज ने छुट्टियों में भी अफसरों से काम कराया.. चौबीस-चौबीस घंटे की ड्यूटी कराई.. छोटे व्यापारियों को थोक के भाव कुर्की के नोटिस भेजे.. इन शिकायतों ने भी सरकार को परेशान किया.

हालांकि, विभागीय सूत्र कहते हैं कि छोटे-छोटे व्यापारियों को कुर्की के नोटिस देकर उनका सोफा-कुर्सी तक जब्त करने के पीछे विभाग के ही अंदर के लोगों का खेल था.. विभाग का कॉकश एम. देवराज के खिलाफ लगा था.. उन्हें बदनाम करने, छवि पर बट्टा लगाने की साजिश रची जा रही थी..

एक अधिकारी संघ ने तो देवराज के खिलाफ खुला मोर्चा छेड़ दिया था और उनको कुर्सी से हटाने का दम तक भर दिया था.. अब वही मोर्चा देवराज के लिए गए फैसलों को चुनौती देने के लिए हाईकोर्ट जाने की तैयारी कर रहा है..

उनकी जगह आईएएस कामिनी चौहान रतन को प्रमुख सचिव बनाया गया है. एम. देवराज के हटने से जीएसटी के तमाम अधिकारियों और कर्मचारी ने राहत की सांस ली है. व्यापारियों में भी काफी खुशी है क्योंकि उन्हें लगता है कि अब वो खुलकर खेल कर पाएंगे..

फिलहाल, देवराज ने जीएसटी में वो लकीर खींच दी है जिसे छोटी करना काफी मुश्किल है.. आईएएस कामिनी चौहान रतन के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी कि क्या वो टैक्स चोरी रोक पाएंगी?? क्या वो जीएसटी में भ्रष्टाचार काबू कर पाएंगी!

कामिनी रतन चौहान को ये भी देखना होगा कि जीएसटी में अफसरों के कॉकश से कैसे बचें..

 

 

रिपोर्ट – जगदीश शुक्ला

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