सेवापुरी वाराणसी, स्थानीय भीषमपुर स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय महिला महाविद्यालय सेवापुरी में होमलैंड स्टेट एवं हिन्दी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में ‘मोर जोकाई और उन्नीसवीं सदी का अंत ‘ विषय से सम्बंधित एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक कार्यक्रम का भव्य आयोजन हुआ, जिसमें हंगरी से आये हुए साहित्यकारों, शिक्षाविदों, इतिहासवेत्ताओं एवं चित्रकारों का हार्दिक स्वागत महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो सुधा पांडेय एवं महाविद्यालय परिवार द्वारा किया गया।
हंगरी की प्रो मारगित कोवैश ने बीज वक्तव्य देते हुए बताया कि हंगरियन साहित्यकार मोर जोकाई की कृतियों का शताब्दी समारोह मनाया जा रहा है, जोकाई एक ऐसे उपनयासकार थे, जिन्होंने वैज्ञानिक धरातल पर अपने उपन्यासों का सृजन किया, जिसमें उन्होंने विज्ञान की सकारात्मक सृष्टि को मानव हितकारी और नकारात्मक सृष्टि को शैतान के रूप में दर्शाया है। प्रो कोवैश ने जोकाई को उपन्यासकार के अलावा हंगरी का स्वतंत्रता सेनानी, क्रांतिकारी सुधारक और उच्च कोटि का चित्रकार बताया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पोरेन्स ग्राफ और सोफिया ज्योनैश ने जोकाई के वैज्ञानिक चिन्तन और साहित्य में उसके अनुप्रयोग को रेखांकित किया। औराई भदोही से आई डॉ सुचिता वर्मा ने कार्यक्रम की समीक्षा करते हुए भारतीय साहित्य में वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक प्रभावों पर प्रकाश डाला। महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो सुधा पांडेय ने बताया कि भारतीय साहित्य बहुआयामी है, जिसमें व्यक्ति और समाज से सम्बंधित सारे चिन्तन मौजूद हैं,
उन्होंने पौराणिक कथाओं के माध्यम से भारतीय साहित्य में मौजूद वैज्ञानिकता के अंश प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो कमलेश वर्मा ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन सुश्री गीता रानी शर्मा ने किया, इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र प्रभुनाथ यादव ने जोकाई की कहानियों का हिंदी अनुवाद प्रस्तुत किया,इस अवसर पर प्रो अर्चना गुप्ता,राम किंकर सिंह, रामायण विश्वकर्मा, विशाल,लक्ष्मण कुमार,सुशील कुमार, मुन्ना कुमार, वन्दना सिंह, सरोजा मौर्या आदि उपस्थित रहे।













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