वाराणसी कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर अन्नकूट पर्व के पावन अवसर पर बुधवार को श्री काशी विश्वनाथ धाम में आस्था और भक्ति का अनोखा संगम देखने को मिला। हर-हर महादेव के जयघोष और शहनाई-डमरू की मंगल ध्वनि के बीच भगवान श्री विश्वेश्वर महादेव का भव्य श्रृंगार 21 क्विंटल विविध मिष्ठानों से किया गया। भक्तों में प्रसाद का वितरण किया गया। बाबा का प्रसाद पाकर भक्त निहाल हो गए।
अन्नकूट पर्व, भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत की पूजा की स्मृति में मनाया जाता है और यह अन्न समृद्धि, सुरक्षा एवं कृतज्ञता का प्रतीक माना जाता है। इस वर्ष भी श्री काशी विश्वनाथ धाम में यह उत्सव अत्यंत श्रद्धा और भव्यता से संपन्न हुआ। श्रृंगार में छेना, बूंदी लड्डू, काजू बर्फी, मेवा लड्डू और अन्य पारंपरिक मिठाइयों का विशेष उपयोग किया गया। पूरा धाम पुष्पों, दीपों और सुगंधित धूप से सुसज्जित किया गया, जिससे वातावरण भक्तिमय हो उठा।
इस अवसर पर भगवान श्री विश्वनाथ, माता गौरी और गणेश जी की पंचबदन रजत चल-प्रतिमा की शोभायात्रा टेढ़ीनीम स्थित महंत परिवार के आवास से निकाली गई। भक्तों के जयघोष और वाद्य ध्वनियों के बीच यह शोभायात्रा गर्भगृह में पहुंचकर संपन्न हुई। इसके बाद विधि-विधानपूर्वक मध्याह्न भोग आरती का आयोजन हुआ, जिसमें भगवान को विविध प्रकार के भोग अर्पित किए गए।
भोग आरती के उपरांत श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद वितरण किया गया, जो अन्नकूट पर्व की विशिष्ट परंपरा है। भक्तों ने श्रद्धाभाव से प्रसाद ग्रहण किया और भगवान विश्वनाथ से परिवार की समृद्धि, स्वास्थ्य और शांति की कामना की। अन्नकूट पर्व केवल धार्मिक आयोजन ही नहीं, बल्कि यह सनातन संस्कृति के सामाजिक और आध्यात्मिक मूल्यों का प्रतीक भी है। यह पर्व एकता, सहयोग, दान और बंधुत्व की भावना को सशक्त करता है। श्री काशी विश्वनाथ धाम में संपन्न यह अन्नकूट महोत्सव न केवल आस्था और भक्ति का प्रतीक रहा, बल्कि यह संदेश भी दे गया कि सच्ची भक्ति और निःस्वार्थ सेवा के माध्यम से समस्त सनातनधर्मी एक वृहद परिवार के सदस्य हैं।









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