माँ अन्नपूर्णा के 17‑दिवसीय महाव्रत का उद्यापन किसान अपने फ़सल कीं पहली धान कीं बाली माँ कों करते है अर्पित धान कीं बलियों से सजा माँ का दरबार अन्य विग्रहो का भी हुआ

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किसान अपने फ़सल कीं पहली धान कीं बाली माँ कों करते है अर्पित धान कीं बलियों से सजा माँ का दरबार अन्य विग्रहो का भी हुआ शृंगार काशी मेँ विराजि अन्नपूर्णा मंदिर माता मंदिर को कई कुंतल धान की बालियों से सजाया गया, जहाँ पूर्वांचल के किसानों ने अपनी पहली फसल की बालियाँ माँ के चरणों में अर्पित कीं। इस कठिन व्रत में भक्त 17 गांठ और 17 धागे धारण कर, पूरे 17 दिन केवल एक समय फलाहार (नमक‑रहित) ही ग्रहण करते हैं।

उद्यापन के दिन मंदिर परिसर को धान की बालियों से शृंगारित किया गया, और माँ अन्नपूर्णा को विशेष आरती एवं भोग अर्पित किया गया। महंत शंकर पुरी ने बताया कि इस परम्परा से अन्न‑धन की समृद्धि बनी रहती है, बल्कि भक्तों की मनोकामनाएँ भी पूरी होती हैं।

रिपोर्ट विजयलक्ष्मी तिवारी

 

 

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