चंदौली 1 सितम्बर 2025 को मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा टेट अनियमितता का जो आदेश आया है उसके विरोध सोमवार को जनपद के शिक्षक संगठनों राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ,जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ व महिला शिक्षक संघ ने एक साथ संयुक्त रूप से मा0 प्रधानमंत्री जी को जिलाधिकारी के माध्यम से आग्रह करते हुए ज्ञापन सौंपा।राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के जिला अध्यक्ष अजय कुमार सिंह ने कहा कि अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों के साथ पूरे भारतवर्ष के सभी 780 जिलों में जिलाधिकारियों के माध्यम से टीईटी के ज्वलन्त समस्या के समाधान हेतु मा0 प्रधानमंत्री जी से इस फैसले पर हस्तक्षेप करने की मांग की है।
उन्होंने कहा कि मा0 सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के अनुसार कक्षा आठ तक पढ़ाने वाले सभी सेवारत शिक्षकों पर शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) अनिवार्य कर दी गई है, चाहे उनकी नियुक्ति की तिथि कुछ भी रही हो। यह स्थिति देशभर के लाखों शिक्षकों की सेवा सुरक्षा और आजीविका को संकट में डाल सकती है।उन्होंने कहा की टेट शिक्षक पात्रता परीक्षा 2010 में आया जबकि हम शिक्षको की नियुक्ति उससे पहले की है।जो नियुक्ति अहर्ताएं मांगी गई उसको हम सभी पूर्ण कर नौकरी में आये ।,जो अहर्ताएं मांगी गई उसको पूर्ण कर ही शिक्षको का चयन हुआ लेकिन आज टेट को चयन का आधार मानकर दो साल के अंदर नही पास होने सेवा से बाहर कर देने का फैसला कहीं से न्यायोचित नही है।
संयुक्त शिक्षक मोर्चा की संयोजिका डॉ सुनीता तिवारी ने ने कहा कि शिक्षक भर्ती के लिए आरटीई अधिनियम 2009 एवं एनसीटीई की अधिसूचना 23 अगस्त 2010 के अनुसार दो अलग-अलग श्रेणियाँ मान्य थीं—2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षक, जिन्हें योग्य माना गया और जिन्हें टीईटी से छूट दी गई थी, तथा 2010 के बाद नियुक्त शिक्षक, जिन्हें एक निश्चित अवधि में टीईटी उत्तीर्ण करना आवश्यक था। न्यायालय के इस निर्णय ने इस भेद को अनदेखा कर दिया है, जिससे 2010 से पूर्व वैध रूप से नियुक्त शिक्षकों की सेवा भी असुरक्षित हो गई है।उन्होंने कहा कि विगत कई वर्षों से शिक्षा व्यवस्था को संभाल रहे अनुभवी शिक्षकों पर अचानक टीईटी की अनिवार्यता थोपना न केवल अन्यायपूर्ण है बल्कि यह शिक्षा की निरंतरता को भी बाधित करेगा। सरकार को तत्काल हस्तक्षेप कर इसे केवल भविष्य की नियुक्तियों पर लागू करना चाहिए।
जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष आनंद कुमार पाण्डेय ने कहा कि इस निर्णय से देश में लगभग 15 लाख से अधिक शिक्षक प्रभावित होंगे। जिन्होंने वैधानिक प्रक्रिया के अंतर्गत नियुक्ति प्राप्त की थी, उनकी सेवा अब असुरक्षित हो गई है। यह स्थिति शिक्षकों के मनोबल को तोड़ेगी और शिक्षा व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी।उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि यह निर्णय केवल भविष्यलक्षी रूप से लागू हो, 2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों की सेवा सुरक्षा व गरिमा की रक्षा की जाए और आवश्यक नीतिगत या विधायी उपाय कर लाखों शिक्षकों के भविष्य को सुरक्षित बनाया जाए. अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला महामंत्री उपेंद्र बहादुर सिंह ने कहा कि हुए कहा कि बीच खेल में खेल के नियम नही बदले जाते । सरकार इस गंभीर मुद्दे पर विचार कर रिव्यू पिटीशन दाखिल कर शिक्षकों के हित के बारे में अवश्य विचार करें
इस अवसर पर जिला महामंत्री इम्तियाज खान,फ़ैयाज़ अहमद बीरेंद्र यादव ,उपेंद्र बहादुर सिंह, विनोद सिंह,जय सिंह, टीएससिटी के कन्हैयालाल गुप्ता, अटेवा के गिरजेश दादा ,आदित्य रघुवंशी शिवम पांडेय,बलराम पाठक सुनील सिंह राम इच्छा सिंहराजकुमार जायसवाल,शक्ति सिंह,शशिकांत गुप्ता ईश्वर चंद्र त्रिपाठी हर्षवर्धन सिंह अवधेश सिंह सुनील सिंह यादव निठोहर सत्यार्थी संजय यादव अभिषेक सिंह रीता पांडे ईरा सिंह धीरेंद सिंह सुजीत पाण्डेय, अभिषेक सिंह,अजीत सिंह,जैद अहमद,इरफान अली,मनोज सिंह,प्रशांत सिंह,प्रवीण त्रिपाठी,कृष्णनंदन मिश्रा,धीरज शाह, हरिशंकर मिश्रा सहित हजारों शिक्षक उपस्थित रहे।