मोतिहारी पूर्वी चंपारण जिले के हरसिद्धि प्रखंड अंतर्गत मुरारपुर पंचायत शुक्रवार से अचानक चर्चे में है। यहां का कुख्यात अपराधी कमरूद्दीन मियां उर्फ ढोलकवा और उप चुनाव में नवनिर्वाचित मुखिया पत्नी फरजाना खातून गिरफ्तारी के बाद उसके आपराधिक करतूतों की कलई खुलनी शुरू हो गई है। सूत्रों की मानें तो उसकी मददगार में शामिल कुछ सफेदपोश वर्दीधारी भी जिला पुलिस कप्तान के रडार पर हैं। आपको बता दें कि कमरूद्दीन पर बिहार और दूसरे राज्यों में हत्या, लूट और रंगदारी के 21 से अधिक मामले दर्ज हैं।
एक समय था जब उसने बाइक मिस्त्री के रूप में करियर की शुरुआत की थी। लेकिन ग्लैमरस जिंदगी जिंदगी बिताने की महत्वाकांक्षा, साथ में जल्द अमीर बनने की चाहत उसे जुर्म के दलदल में खींच ले गई। जहां उसकी मुलाकात कुख्यात अपराधी जितेंद्र सिंह से हुई और उसका शागिर्द बन गया। उन दिनों जिले में जितेंद्र व देवेंद्रनाथ दुबे की दुश्मनी जगजाहिर थी। उसने जितेंद्र का सहयोग लेकर देवेन्द्र के कई शूटरों की हत्या की। इसी अदावत में वर्ष 96 में जब जितेंद्र की भी हत्या हो गई तब गैंग की कमान संभालते हुए कमरूद्दीन सरगना बन गया।
पंचायत चुनाव से शुरू किया राजनीतिक सफर मुरारपुर पंचायत में उपचुनाव का बिगुल बजते ही उसने तीसरी पत्नी फरजाना खातून को प्रत्याशी बनाया। दिल खोलकर खर्च किया, ग्रामीणों में लोकप्रियता बढ़ी और चुनाव जीत गया। जब पत्नी मुखिया बन गई तो वह प्रशासनिक महकमे में दखल बढ़ाने लगा। पुलिस-प्रशासन में अपनी पहुंच बनाने लगा।
वह उत्तर प्रदेश के माफिया विधायक अतीक अहमद के तर्ज पर अपना वर्चस्व जमाना चाहता था। अतीक के जैसे ही कमरुद्दीन ने अपराध जगत में प्रवेश किया। पहले कुख्यात अपराधी का चहेता बना फिर उसकी हत्या के बाद खुद गैंग का लीडर बन गया। इस दौरान उसने तमाम छोटी-बड़ी आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया। यहां तक कि अतीक की तरह तीन शादियां भी की, फिर पत्नी को राजनीति में ले आया। और चुनाव जीतते ही उसकी पैठ अधिकारियों में बनने लगी।
हथियारों, कारतूस व लग्जरी गाड़ियां हुईं बरामद एसपी स्वर्ण प्रभात को गुप्त सूचना मिली कि ढोलकवा के घर बड़ी संख्या में हथियार छिपाए गए हैं। उनके नेतृत्व में विशेष टीम का गठन कर औचक छापेमारी की गई। तलाशी में ट्रंक के तहखाने से पांच लाख रुपए से अधिक कीमत की कारबाइन, एक-एक लाख रुपए से अधिक की कीमत के चार पिस्टल, सिक्सर, लाइसेंसी रायफल कई मैगजीन व सैकड़ों गोलियां बरामद किए गए।
पूछताछ के बाद उसकी निशानदेही पर धान के खेत से एक रायफल भी मिली। इसके अलावा सात लग्जरी वाहन व कई दस्तावेज जब्त किए गए।सूत्रों के अनुसार, गुप्तचर ने विशेष तौर पर हिदायत दी थी कि ‘ऑपरेशन जखीरा’ अभियान की भनक कानों-कान स्थानीय पुलिस तक नहीं पहुंचे। इसी वजह से छापेमारी में पूरी तरह गोपनीयता बरती गई।
इस कारण से घर में रखे थे आर्म्स पुलिस से हुई पूछताछ में उसने स्वीकार किया कि इतनी बड़ी संख्या में आर्म्स खुद की सुरक्षा के लिए रखे थे। उसका कहना था कि प्रतिद्वंदी दुश्मनों और बढ़ते राजनीतिक द्वेष के कारण उसकी जान को खतरा था। हालांकि उससे लगातार पूछताछ जारी है। और उससे कुछ और भी महत्वपूर्ण खुलासे होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।











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