वक्ताओं की ताकत भाषा,लेखक का अभिमान है भाषा, भाषाओं के शीर्ष पर बैठी,मेरी प्यारी हिंदी भाषा..।
सत्य ही है, “हिंदी के द्वारा सारे भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है।”१४ सितंबर को भारत के संविधान ने गणराज्य की आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी को अपनाया था। इसी महत्त्वपूर्ण निर्णय के महत्त्व को प्रतिपादित करने तथा हिंदी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिए वर्ष १९५३ से समस्त भारत में १४ सितंबर को प्रतिवर्ष हिंदी_दिवस के रूप में मनाया जाता है।
हिन्दी भाषा और हिन्दी साहित्य को सर्वांगसुंदर बनाना हमारा कर्त्तव्य है। – डॉ. राजेंद्रप्रसाद प्रतिज्ञाबद्ध हूं अपनी लेखनी एवं मंतव्यो को सदैव हिन्दी माध्यम से पहुंचता रहूंगा आचार्य विनोबा ने कहा था “हिंदी को गंगा नहीं बल्कि समुद्र बनना होगा!” सहयोग हम भारतीयों को ही करना होगा!!
हिन्दी दुनिया की दूसरी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। वह भारत की लोकभाषा तथा जनभाषा है। उसका अभिषेक लोकतंत्र का वास्तविक राजतिलक है। हिन्दी सिर्फ एकता की ही कड़ी नहीं है बल्कि वह हमारे स्वाभिमान, राष्ट्रीय गरिमा तथा राष्ट्रोत्कर्ष की परिचायिका है।
एक राष्ट्रगीत तथा एक राष्ट्रध्वज के समान एक राष्ट्रभाषा के कारण राष्ट्रीय प्रतिष्ठा को बल मिलता है और समूची दुनिया में हमें आदर तथा सम्मान मिलता है।हाँ यह बात सर्वथा उचित है कि इसकी सरलता, बोधगम्यता और शैली की दृष्टि से विश्व की भाषाओं में हिन्दी विशिष्ट स्थान रखती है।
गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर जी ने कहा था ‘भारतीय भाषाएं नदियां हैं और हिंदी महानदी’। सत्य है, विश्व पटल पर भारत की विविधतापूर्ण संस्कृति को एक सूत्र में पिरोते हुए दिव्य स्वरूप प्रदान करने वाली भाषा ‘हिंदी’ है। यह भारतीयता की प्रतीक है। हमारी संस्कृति की संवाहक है
बाल्यावस्था में प्राप्त संस्कार ही आजीवन मार्गदर्शन करता है।
हिन्दी अ-अनपढ से शुरु होकर ज्ञ-ज्ञानी बनाती है और अंग्रेजी A- Apple से शुरु होकर Z- Zebra (जानवर) बनाकर छोडती है।
छात्रों को भी नहीं पता होगा कि भारतीय भाषाओं की वर्णमाला विज्ञानिकता से भरी है। वर्णमाला का प्रत्येक अक्षर तार्किक है और सटीक गणना के साथ क्रमिक रूप से रखा गया है। इस तरह का वैज्ञानिक दृष्टिकोण अन्य विदेशी भाषाओं की वर्णमाला में शामिल नहीं है।
जैसे देखें…
क ख ग घ ड़ – पांच के इस समूह को “कण्ठव्य” (कंठवय) कहा जाता है क्योंकि इस का उच्चारण करते समय कंठ से ध्वनि निकलती है। उच्चारण का प्रयास करें।
च छ ज झ ञ – इन पाँचों को “तालव्य” (तालु) कहा जाता है क्योंकि इसका उच्चारण करते समय जीभ तालू महसूस करेगी। उच्चारण का प्रयास करें।
ट ठ ड ढ ण – इन पांचों को “मूर्धन्य” (मुर्धन्य) कहा जाता है क्योंकि इसका उच्चारण करते समय जीभ मुर्धन्य (ऊपर उठी हुई) महसूस करेगी। उच्चारण का प्रयास करें।
त थ द ध न – पांच के इस समूह को “दन्तवय” कहा जाता है क्योंकि यह उच्चारण करते समय जीभ दांतों को छूती है। कोशिश करो
प फ ब भ म – पांच के इस समूह को कहा जाता है “अनुष्ठान” क्योंकि दोनों होठ इस उच्चारण के लिए मिलते हैं। कोशिश करो
य र ल व- अंतस्थ,
श ष स ह- ऊष्म,
क्ष त्र ज्ञ श्र- संयुक्त कहे जाते हैं।
क्या दुनिया की किसी भी अन्य भाषा में ऐसा वैज्ञानिक दृष्टिकोण है? हमें अपनी भारतीय भाषा के लिए गर्व की आवश्यकता है, लेकिन साथ ही हमें यह भी बताना चाहिए कि दुनिया को क्यों और कैसे बताएं।











Users Today : 3
Users This Year : 11295
Total Users : 11296
Views Today : 3
Total views : 24123