धावक के आवास पर शोक संवेदना व्यक्त करने वालों का उमड़ा जनसैलाब।
भारतीय एथलेटिक्स जगत को गुरुवार को एक गहरा आघात लगा,जब अंतरराष्ट्रीय धावक मुरलीधर बिंद का निधन हो गया उनके निधन की खबर से क्षेत्र शोक में डूब गया। उनके पैतृक गांव मदनपुर,गोपीगंज स्थित आवास पर शोक‒संवेदना व्यक्त करने वालों का तांता लगा गया। खेल जगत, सुरक्षा बलों के जवानों, सामाजिक संगठनों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने पहुंचकर महान धावक को श्रद्धांजलि अर्पित की।
मुरलीधर ने अपने संघर्ष, अनुशासन और अद्भुत प्रतिभा से भारतीय एथलेटिक्स में अनगिनत कीर्तिमान स्थापित किए। वे सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में 38 साल 8 माह सेवा देने के बाद डिप्टी कमांडेंट के पद से सेवानिवृत्त हुए। सेवानिवृत्ति के बाद भी वे भारतीय खेलों में नई क्रांति लाने के अपने प्रोजेक्ट के जरिए युवाओं को ओलंपिक स्तर तक पहुंचाने के प्रयास में लगातार जुटे रहे।
मुरलीधर जीवन मे संघर्ष से अद्भुत उपलब्धियां हाशिल किया राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 40 पदक
20 स्वर्ण (गोल्ड)11 रजत (सिल्वर)09 कांस्य (ब्रॉन्ज)
इन पदकों के दम पर उन्होंने भारतीय दौड़ इतिहास में कई अमिट रिकॉर्ड बनाए।1977 में तीनों लंबी दौड़ इवेंट पर कब्ज़ा एक इतिहास मुरलीधर उस समय देश के पहले धावक बने जिन्होंने 19 वर्ष की उम्र में—
5000 मीटर 10000 मीटर
मैराथन तीनों में पदक जीतकर सनसनी मचा दी।
उन्होंने 2 घंटे 18 मिनट में मैराथन पूरा कर नया रिकॉर्ड बनाया, जो 1952 एशियन गेम्स, दिल्ली के 2:21:03 समय से 3 मिनट 3 सेकंड बेहतर था।
विश्व स्तर पर भारत को पहला ओपन मैराथन पदक
वे विश्व स्तरीय ओपन मैराथन में भारत को पहला पदक दिलाने वाले धावक भी रहे।
मेडिकल साइंस की थ्योरी को गलत साबित किया डाक्टरों द्वारा 22 वर्ष से कम आयु में मैराथन दौड़ने पर लगाए गए प्रतिबंध को चुनौती देते हुए उन्होंने 20 वर्ष से कम उम्र में रिकार्ड समय के साथ मैराथन जीतकर नया इतिहास रचा।
मात्र 5 फुट कद—दुनिया में सबसे छोटे कद के कमांडो
मुरलीधर बिन्द दुनिया के सबसे कम कद वाले (5 फुट) ऐसे व्यक्ति बने जिन्होंने किसी भी फोर्स में कमांडो क्वालिफिकेशन हासिल की—यह अपने आप में अद्वितीय उपलब्धि है।
क्वालिफाइड कोच खेल प्रशिक्षण में भी वे समान रूप से प्रभावशाली रहे और अनेक खिलाड़ियों को दिशा दी।
गांव से अंतरराष्ट्रीय पटल तक—एक प्रेरक गाथा मदनपुर,के एक साधारण परिवार से उठकर मुरलीधर ने वह मुकाम हासिल किया, जिसे पाने का सपना भी मुश्किल होता है।
उनकी विनम्रता, जुझारूपन, सेवा और देश के प्रति समर्पण हमेशा याद किए जाएंगे।लोकप्रिय धावक को अश्रुपूर्ण विदाई मुरलीधर के निधन ने पूरे क्षेत्र ही नहीं, भारतीय खेल जगत को भी शोकाकुल कर दिया है। गांव में जनसैलाब उमड़ा रहा। लोगों ने कहा—“मुरलीधर सिर्फ खिलाड़ी नहीं,एक पूरी पीढ़ी के प्रेरक थे।
रिपोर्ट – जलील अहमद











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