भारत प्रकृति संरक्षण का हितैषी-प्रोफेसर गीता भट्ट ,राष्ट्रीय महामंत्री अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ

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राजातालाब।  राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ की राष्ट्रीय महामंत्री प्रोफ़ेसर गीता भट्ट ने कहा है कि भारत का चिंतन प्रकृति पर्यावरण का समावेशी है। कहा कि पाश्चात्य जगत जहां संसाधनों का आधिकाधिक दोहन करना चाहती है।वहीं भारतीय संस्कृति,सभ्यता और चिंतन संसाधनों की सुरक्षा और मनुष्य के व्यवहार में संयम चाहती है।
प्रोफ़ेसर गीता भट्ट ने यह बातें काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के स्वतंत्रता भवन सभागार में अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी “काशी शब्दोत्सव-विश्व कल्याण: भारतीय संस्कृति” में कही । अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ की राष्ट्रीय महामंत्री गीता भट्ट ने मुख्य वक्ता के रूप में बेहद रोचक और प्रेरक विषय रखा।

उन्होंने कहा कि वैश्विक परिदृश्य में भारत की प्रासंगिकता विश्व बंधुत्व एवं शांति के लिए हमेशा बनी रहेगी क्योंकि भारत ही एकमात्र राष्ट्र है जो सर्वेभवन्तु सुखिन: सर्वे संतु निरामया की बात करता है।इस दौरान वहां राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ की स्थानीय वाराणसी की प्रदेश मंत्री प्रोफेसर भावना निगम,महिला विंग की जिला महामंत्री डा० कुमुद सिंह,जिला उपाध्यक्ष दीपिका सिंह,जिला मंत्री अनुराधा भार्गव, रीना वर्मा,प्रीति सिंह, आभा तिवारी,जिला संयुक्त मंत्री गीता गुप्ता ऋतु ओबराय शालिनी जायसवाल,जिला प्रचार मंत्री सुनीता चतुर्वेदी कुमुद सिंह,जिलाध्यक्ष वाराणसी शशांक कुमार पाण्डेय “शेखर”,जिला महामंत्री आनंद कुमार सिंह, आदि ने गीता भट्ट का स्वागत और अभिनंदन किया।

 

रिपोर्ट विजयलक्ष्मी तिवारी

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