चंन्दौली बबुरी
दिनांक 15 -11 -25 दिन शनिवार को अशोक इंटर कॉलेज बबुरी में जिला विद्यालय निरीक्षक चन्दौली/ प्राधिकृत नियंत्रक ने विद्यालय के संस्थापक स्वर्गीय सांसद बालकृष्ण जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए निरीक्षण के दौरान विद्यालय में तमाम कमियों को देखते हुए विद्यालय के प्रधानाचार्य,व अध्यापकों को जमकर लताड़ा, और उन्हें तत्काल सुधर जाने एवं कार्यवाही में लापरवाही करने के लिए चेतावनी भी दे डाली। भ्रष्टाचार में लिप्त प्रबंधक अशोक सिंह के निलंबन के बाद प्राधिकृत नियंत्रक के रूप में विद्यालय व्यवस्था को चलाने के लिए जिला विद्यालय निरीक्षक चंदौली को नियुक्त किया गया ।
क्षेत्र की जनता के तमाम शिकायतों के बाद पहली बार प्राधिकृत नियंत्रक ने औचक निरीक्षण कर तमाम कमियों के मद्देनजर अध्यापकों व कर्मचारियों की बैठक बुलाकर , रेगुलर क्लास न चलने व पढ़ाई न होने के कारण शिक्षा के गिरते स्तर , अवैध फीस वसूली, विद्यालय के विकास एवं साफ सफाई के लिए , प्रधानाचार्य व अध्यापकों के शिक्षण कार्य में लापरवाही बरतने में सुधार लाने की कड़ी फटकार के साथ आदेश दिए।
जब की क्षेत्रीय जनता का आरोप है कि इस विद्यालय में भ्रष्टाचार, अवैध फीस वसूली, लूट -खसोट ,अराजकता शिक्षण कार्य में लापरवाही व विद्यालय का विकास न होने में प्रधानाचार्यथ व निलंबित प्रबंधक का भरपूर सहयोग रहा है, क्योंकि प्रबंधक और प्रधानाचार्य रिश्ते में समधि है, इसलिए दोनों मिलकर के विद्यालय के अस्तित्व को मिटाने विद्यालय पर कब्जा करने एवं इसे लूटने का भरपूर प्रयास किया है। विद्यालय के इस दूरदीन दशा के जिम्मेदार सिर्फ भ्रष्ट प्रधानाचार्य हैं, जो की फर्जी डिग्री व दस्तावेज के द्वारा विषय विशेषज्ञ के रूप में अध्यापक के पद पर नियुक्त होने के बाद फर्जी रूप से प्रबंधक के रहमों करम से विद्यालय में प्रधानाचार्य के पद पर आसीन है।
विद्यालय में निरीक्षण करने आए अधिकारियों से प्रधानाचार्य यह स्पष्ट कहते हैं कि विद्यालय में पढ़ाई हो चाहे ना हो विद्यालय चले चाहे ना चले हमें सिर्फ पैसे से मतलब है और मैं जाते-जाते इस विद्यालय की एक-एक ईट को बेचकर के जाऊंगा, इतनी गिरी सोच, इतनी गंदी मानसिकता से ग्रसित व्यक्ति अगर किसी शिक्षण संस्था का मुखिया बन जाए तो उस विद्यालय का भविष्य क्या होगा यह यह बात जिले के शिक्षा विभाग के मुखिया व क्षेत्र के लोगों के लिए विचारणीय प्रश्न है। और यही नहीं यह भ्रष्ट प्रधानाचार्य लाचार क्षेत्र के बच्चों से पांच से दस हजार तक घूस लेकर बच्चों का विद्यालय में एडमिशन कराते है , जबकि विद्यालय में छात्र-छात्राओं की संख्या लगभग 4000 के करीब है उसके बाद भी पैसे की लूट खसोट के करण 12 वित्त विहीन अध्यापकों को विद्यालय से निकाल दिया गया है
जिससे एक-एक क्लास में 150 से 200 बच्चे पढ़ने व बैठने के लिए मजबूर है। जबकि सरकारी मानक के अनुसार एक क्लास में कम से कम 40 और अधिक से अधिक 60 बच्चों की संख्या होनी चाहिए। बच्चों के बैठने की व्यवस्था न होने व रेगुलर सभी क्लास न चलने के कारण बच्चे विद्यालय कैंपस व सड़कों पर घूमते नजर आते हैं। अब इस विद्यालय का भविष्य प्राधिकृत नियंत्रक के हाथ में है, निरीक्षण के बाद क्षेत्र की जनता इस ईमानदार अधिकारी को पाकर एक उम्मीद और कयास लगा रही है, कि अब विद्यालय का भविष्य सुरक्षित होगा, और यह देखना है कि प्राधिकृत नियंत्रक के द्वारा आगे विद्यालय के सुधार के लिए कौन सी न्यायोचित कार्यवाही की जायेगी।









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