बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के भूगोल विभाग द्वारा” शहरी, ग्रामीण और जनजातीय विकास के एकीकरण द्वारा सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति: विकसित भारत 2047 की दृष्टि” विषय पर तीन

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विकसित भारत 2047 की दृष्टि” विषय पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन 9 अक्तूबर 2025 को किया गया। यह सम्मेलन 9 से 11 अक्तूबर 2025 तक आयोजित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य सतत एवं समावेशी विकास के लिए अंतरविषयक संवाद और सहयोगी शोथ को प्रोत्साहित करना है।

 

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. बिनोद कुमार सिंह, निदेशक, राष्ट्रीय एटलस एवं थी मैटिक मैपिंग संगठन (NATMO), कोलकाता उपस्थित रहे। अपने उद्बोधन में उन्हों ने सतत विकास की दिशा में भौगोलिक सूचना प्रणाली एवं थी मैटिक मेपिंग की भूमिका पर प्रकाश डाला तथा शहरी ग्रामीण जनजातीय क्षेत्रों के संतुलित विकास की आवश्यकता पर बल दिया।

मुख्य वक्ता (Keynote Speakers) के रूप में प्रो. कोइची किमोटो, क्यान्सेई गाकुइन विश्वविद्यालय, जापान, और प्रो. रणबीर एस. कांग. केनेसों स्टेट विश्वविद्यालय, अमेरिका, ने अपने विचार प्रस्तुत किए। दोनों वक्ता ओं ने सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु अंतरराष्ट्रीय अनुभवों और स्थानीय स्तर पर नवाचार आधारित रणनीतियों पर चर्चा की।

 

उद्घाटन सत्र में प्रो. अरुण देव सिंह, का पंचा हक हीन, विज्ञान संकाय एवं प्रमुख, भूविज्ञान विभाग, बीएचयू प्रो. वी. के. त्रिपाठी, प्रमुख, भूगोल विभाग, बीएचयू, तथा प्रो. राणा पी. बी. सिंह, प्रसिद्ध भूगोलवेत्ता एवं पूर्व प्राध्यापक, भूगोल विभाग, बीएचयू, भी विशेष रूप से उपस्थित रहे। प्रो. सिंह ने अपने संबोधन में समय स्था निक योजना तथा सांस्कृतिक स्थिरता के महत्व पर प्रकाश डाला।

 

सम्मेलन के संयोजक प्रो. रिपुदमन सिंह एवं डॉ. हरप्रीत सिंह हैं। तीन दिवसीय इस सम्मेलन में देश-विदेश से अनेक विद्वान, शोधकर्ता एवं नीति-निर्माता भाग ले रहे हैं, जो स्था निक एकीकरण, समावेशी शासन, पर्यावरणीय स्थिरता और तकनीकी नवाचार जैसे विषयों पर विचार-विमर्श करेंगे।

 

यह सम्मेलन भारत सरकार की” विकसित भारत @ 2047″ की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में शहरी प्रगति, ग्रामीण सशक्तिकरण और जनजातीय ज्ञान की समन्वित दृष्टि प्रस्तुत करता है।

 

 

रिपोर्ट धनेश्वर साहनी

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