वाराणसी
उत्तर और दक्षिण भारत की सांस्कृतिक धरोहरों को जोड़ने वाली ऐतिहासिक पहल ‘काशी तमिल संगमम’ के चौथे संस्करण का भव्य शुभारंभ मंगलवार को नमो घाट पर हुआ। “तमिल कारकलाम तमिल सीखें” की थीम पर आधारित यह आयोजन 15 दिसंबर तक चलेगा, जिसमें तमिलनाडु से आए 1400 से अधिक प्रतिनिधि विविध कार्यक्रमों में भाग लेंगे। यह आयोजन एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना को नई ऊंचाई प्रदान कर रहा है।
कार्यक्रम का उद्घाटन केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, तमिलनाडु के राज्यपाल आर. एन. रवि, पुदुच्चेरी के उपराज्यपाल के. कैलासनाथन और केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री एल. मुरुगन ने संयुक्त रूप से किया। इस अवसर पर नमो घाट पर पारंपरिक और सांस्कृतिक परिवेश में आयोजित कार्यक्रम ने सभी आगंतुकों को काशी की आध्यात्मिकता के रंग में रंग दिया।
काशी ज्ञान की नगरी : धर्मेंद्र प्रधान
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि काशी ज्ञान की नगरी है और यहां आने वाले तमिल मेहमानों का हार्दिक स्वागत है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा से उत्तर और दक्षिण की दो महान सभ्यताएं एक सूत्र में पिरोई जा रही हैं। प्रधानमंत्री जहां तकनीक और नवाचार को बढ़ावा देते हैं, वहीं परंपराओं को सहेजने पर भी जोर देते हैं। धर्मेंद्र प्रधान ने काशी की प्राकृतिक खेती और तमिलनाडु की कृषि पद्धतियों के बीच समानता का उल्लेख करते हुए कहा कि यह संगमम दो सांस्कृतिक धाराओं को जोड़ने का उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने काशीवासियों से कार्यक्रम के दौरान शहर पहुंचने वाली कार रैली का पारंपरिक तरीके से स्वागत करने की अपील भी की।
काशी व तमिल परंपरा के बीच संबंध का सेतु : सीएम योगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि काशी तमिल संगमम का चौथा संस्करण एक भारत श्रेष्ठ भारत के संकल्प को और मजबूत करता है। उन्होंने तमिल प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए कहा कि काशी और तमिल परंपरा के बीच संबंध का सेतु भगवान शिव हैं। योगी ने कहा कि काशी, प्रयागराज और अयोध्या का आध्यात्मिक अनुभव तमिल मेहमानों को भारत की सांस्कृतिक एकता का गहरा संदेश देगा। उन्होंने कहा कि इस वर्ष की थीम “आओ तमिल सीखें” उत्तर और दक्षिण को भाषाई रूप से और करीब लाएगी। मुख्यमंत्री ने कार रैली को इस सांस्कृतिक जुड़ाव का एक सशक्त माध्यम बताया, जो काशी से आगे विभिन्न सभ्यताओं तक पहुंचेगी।
बाबा विश्वनाथ को अर्पित करते हैं कमाई का एक हिस्सा
पुदुच्चेरी के उपराज्यपाल कैलासनाथन ने कहा कि प्रधानमंत्री मन की बात कार्यक्रम में भी काशी तमिल संगमम का उल्लेख कर इसकी महत्ता को रेखांकित किया है। उन्होंने बताया कि तमिलनाडु के ‘चेट्टियार समुदाय’ के लोग दो सौ वर्षों से अपनी कमाई का एक हिस्सा बाबा विश्वनाथ को अर्पित करते आए हैं, जो दोनों क्षेत्रों के गहरे संबंध का प्रतीक है।
रामेश्वर में होगा काशी-तमिल संगमम का समापन
केंद्रीय मंत्री एल. मुरुगन ने कहा कि काशी तमिल संगमम एक भारत श्रेष्ठ भारत का जीवंत उदाहरण है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में मातृभाषा व विभिन्न भाषाओं के अध्ययन पर जोर दिया गया है, जिससे ऐसे आयोजन सामाजिक और सांस्कृतिक जुड़ाव को मजबूत करते हैं। उन्होंने बताया कि संगमम का समापन रामेश्वरम में होगा और वहां तमिलनाडु सरकार तथा स्थानीय समुदाय सभी प्रतिनिधियों के स्वागत के लिए तैयार हैं।
सात प्रमुख श्रेणियों से काशी आएंगे तमिल मेहमान
तमिलनाडु से आने वाले 1400 प्रतिनिधि सात प्रमुख श्रेणियों से होंगे। इनमें छात्र, अध्यापक, लेखक, मीडिया प्रोफेशनल, कृषि विशेषज्ञ, कारीगर, महिलाएं और आध्यात्मिक विद्वान शामिल हैं। उनके आगमन से यह सुनिश्चित होता है कि काशी तमिल संगमम 4.0 का प्रभाव समाज के हर वर्ग तक पहुंचे और भारत की भाषाई–सांस्कृतिक विविधता और एकता का संदेश व्यापक रूप से फैले।










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