वाराणसी, 5 दिसंबर कृषि विज्ञान संस्थान (IAS), बनारस हिंदू विश्वविद्यालय द्वारा भारतीय मृदा विज्ञान सोसायटी (ISSS) की वाराणसी शाखा के सहयोग से विश्व मृदा दिवस 2025 उत्साहपूर्वक मनाया गया। इस वर्ष का वैश्विक विषय “स्वस्थ शहरों के लिए स्वस्थ मिट्टी” रहा, जिसके माध्यम से शहरी मृदा स्वास्थ्य की महत्ता, खाद्य सुरक्षा, जलवायु अनुकूलन, पारिस्थितिकी संरक्षण एवं जनस्वास्थ्य में उसकी भूमिका पर चर्चाएँ की गईं।
कृषि विज्ञान संस्थान के सेमिनार हॉल में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों, शिक्षकों, शोधार्थियों, विद्यार्थियों तथा सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने सहभागिता की। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. रवि सिंह (IFS), संरक्षक वन, वाराणसी उपस्थित रहे, जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. यू. पी. सिंह, निदेशक, IAS ने की।

कार्यक्रम की शुरुआत संस्थापक की प्रतिमा पर माल्यार्पण तथा कुलगीत के वादन के साथ हुई। स्वागत भाषण में प्रो. जे. यादव, विभागाध्यक्ष (SSAC), ने तेजी से विस्तार लेते शहरों में मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने हेतु बहु-विषयक प्रयासों और नीतियों की आवश्यकता पर बल दिया।
विषय प्रस्तुति में प्रो. एन. डे ने प्रदूषण, अव्यवस्थित निर्माण और अनुचित भूमि उपयोग के कारण शहरी मिट्टी के क्षरण पर चिंता व्यक्त की तथा शहरी नियोजन, अपशिष्ट प्रबंधन और नीति निर्माण में मृदा संरक्षण को सम्मिलित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
कार्यक्रम के अंतर्गत पोस्टर, स्लोगन और क्विज़ प्रतियोगिताएँ आयोजित की गईं, जिनमें विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। पोस्टर प्रतियोगिता का मूल्यांकन प्रो. एन. डे, प्रो. ए.के. घोष और प्रो. पी.के. शर्मा ने किया, जिसमें शहरी मिट्टी स्वास्थ्य पर नवाचारपूर्ण एवं वैज्ञानिक प्रस्तुतियाँ देखने को मिलीं। क्विज़ प्रतियोगिता का संचालन प्रो. ए. रक्षित द्वारा किया गया।
मुख्य संबोधन में डॉ. रवि सिंह ने अव्यवस्थित शहरी विस्तार, अपशिष्ट संचय और कार्बनिक पदार्थों की कमी को शहरी मिट्टी के गिरते स्वास्थ्य का प्रमुख कारण बताते हुए पारिस्थितिक सिद्धांतों पर आधारित पुनरुत्थानकारी मृदा प्रबंधन तकनीकों के विकास का आह्वान किया।
विशेष अतिथि श्री अनिल सिंह (सृजन सोशल डेवलपमेंट ट्रस्ट) ने जनभागीदारी, वृक्षारोपण तथा पारंपरिक वनस्पति ज्ञान—विशेष रूप से सिंदूर पौधे—के महत्व पर प्रकाश डाला।
अध्यक्षीय remarks में निदेशक प्रो. यू.पी. सिंह ने शहरी जनसमुदाय में मृदा साक्षरता बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि भावी शहर जलवायु-स्मार्ट और टिकाऊ बन सकें।
कार्यक्रम का समापन प्रो. पी.के. शर्मा, सचिव (ISSS वाराणसी चैप्टर) द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें उन्होंने शहरी मृदा के सूक्ष्मजीव समुदायों की भूमिका पर प्रकाश डाला, जो जैव विविधता, पारिस्थितिक तंत्र सेवाओं तथा मानव और पशु स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।
कार्यक्रम का संचालन प्रणव और अनुपमा द्वारा प्रभावशाली एवं ऊर्जावान शैली में किया गया। विशेष धन्यवाद डॉ. ए.एम. लटारे (आयोजक) और विद्यार्थियों की समर्पित टीम को दिया गया, जिनके प्रयासों से कार्यक्रम सुचारु रूप से संपन्न हो सका।
विश्व मृदा दिवस 2025, बीएचयू ने यह सशक्त संदेश दिया कि भविष्य के स्वस्थ और सक्षम शहरों की नींव—मिट्टी के स्वास्थ्य पर आधारित है।
रिपोर्ट धनेश्वर साहनी









Users Today : 111
Users This Year : 11403
Total Users : 11404
Views Today : 156
Total views : 24276