पटाखों का इस्तेमाल: पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए खतरा

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अब बारूद के ढेर पर इंसान की जिंदगी है

कहावत है कालिदास जिस डाल पर बैठे थे उसी डाल को काट रहे थे लेकिन उनकी पत्नी विद्वोतमां के ताड़ना पर कवि कालिदास बन गए,

लेकिन यहां तो देखा जाए हर घर के इंसान कालिदास बन बैठा है किसी व्यक्ति को ज्ञान देने से भी वो अज्ञानता पर अपनी जिंदगी को निर्भर बना दिए हैं।

चाहे दीपावली हो, चाहे छठ पूजा हो हिंदूओ की त्यौहार पूजा पाठ बंम पाडा़कां से किया जा रहा है।

लेकिन इस त्यौहार के पर्व पर मुझे समझ में नहीं आता हिंदुओं की पूजा पाठ करने का कार्य शैली किस ग्रंथ से मिला।
खैर बात सब छोड़िए

जिस तरह से इंसान पर्यावरण से खेल खेल रहे हैं उन्हें समझना चाहिए इस बारूद से इंसान के हार्ट पर भी असर पड़ेगा,आंख पर भी असर पड़ेगा, छोटे-छोटे बच्चों पर असर पड़ेगा, फल सब्जी पर असर पड़ेगा।

किसानों के पैदावार पर असर पड़ेगा किसान कितनी मेहनत करके फसल पैदा करता है और उसी से सभी लोगों का जीविका पालन पोषण किया जाता है।

क्या दुनिया में हर घर में शिक्षित है और अशिक्षित भी हैं लेकिन वह अपने बच्चों को अशिक्षित को इस विषय में ज्ञान का बोध नहीं दे रहे हैं।

कुछ ऐसे महापुरुष है 10, 10हजार अपना पैसा खर्च करके वृक्षारोपण करता है ताकि हमारा देश प्रदूषण मुक्त रहे।
और देश निरोग रहे स्वस्थ रहे।

लेकिन तो यहां देखा जा रहा है किसी देवी देवता के पूजन में बम पटाखा से किया जा रहा है।

जो इंसान देश के मनुष्य को विकलांग करना चाह रहा है जिसका नजीर हमास में देखिए वियतनाम में देखिए कि यह लड़ाई बारूद का नपुंसक बना दिया।

सुबे के सरकार योगी आदित्यनाथ से मैं कहना चाहूंगा देश के हर इंसान को ऐसा शिक्षा मिले की देवी देवताओं का पूजा पाठ बारूद के ढेर ना किया जाए

सिर्फ बनारस में करोड़ों के ऊपर बम पटाखा बजाया गया। जिससे प्रदूषण चरम सीमा के ऊपर है लोगों को सांस लेने में दिक्कत है।

इस विषय में सरकार को विशेष ध्यान देने की जरूरत है अगर सरकार की मंशा यही है कि देश को हम नपुंसक बनाकर राजा की हमारी होगी।

तो वह दिन दूर नहीं की फिर आप राजा होंगे की प्रजा होंगे

 

 

रिपोर्ट – जगदीश शुक्ला

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