सनातन धर्म, संस्कृति और इसके महान आदर्शों को पूरे विश्व में प्रचारित प्रसारित करने के उद्देश्य से अंतरराष्ट्रीय वेदांत सोसाइटी के महासचिव स्वामी प्रबुद्धानंदपुरी महाराज १०-२० वर्ष से यूरोप के स्पेन, हॉलैंड, इंग्लैंड और इंडोनेशिया, हांगकांग तथा भारतवर्ष के विभिन्न प्रांतों में सत्संग कर रहे है। स्वामीजी भागवत गीता, वेदांत, उपनिषद, सनातन धर्म की शिक्षाओं के माध्यम से भगवान के सत्य और प्रेम के संदेश को मानव जाति तक पहुंचाने की प्रयास कर रहे हैं। श्री भगवान आई. भी. एस. के ‘मूल और संस्थापक’ होने के साथ-साथ इस आध्यात्मिक संस्थान के केंद्रीय आकर्षण और प्रेरक शक्ति भी हैं।
८ अक्तूबर को, लगभग १५ विदेशी भक्तों संग स्वामीजी काशी आगमन किए। हवाई अड्डे पर एक वैदिक मंत्रोच्चार शंख ध्वनि से भव्य स्वागत समारोह अनुष्ठान हुआ। वें लोग यहां १२ दिनों तक चलने वाले सत्संग, काशी तथा बाबा विश्वनाथ के दर्शन, पूजन में भाग लेंगे। दीपावली के अवसर पर एक विदेशी भक्त आश्रम में ब्रम्हचर्य दीक्षा लेंगे। हाली में नवरात्री के दौरान सनातन धर्म के आदर्शों से प्रेरित होके 30 भक्तों के एक विशाल समूह ने स्वामी प्रबुद्धानंदजी से सनातन परंपरा में दीक्षा ली। स्वामीजी और आईवीएस के माध्यम से ‘श्री भगवान’ की असीम कृपा मानवता पर बरस रही है। ईश्वर की जीवंत प्रकाश ही है जो विश्वभर से भक्तों को आकर्षित कर रहे है। यहां से जुड़के लोग ध्यान, भक्ति, सेवा और वेदों, उपनिषदों के ज्ञान के माध्यम से, श्री भगवान की असीम कृपा एवं नए जीवन प्राप्त करते है।
हॉलैंड में विदेशी भक्तों के साथ नवरात्रि दुर्गा पूजा 2025 का आयोजन किया गया था। हॉलैंड में नवरात्रि के नौ दिन बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाए गए। नौ दिनों तक, देवी दुर्गा की पूजा, प्रार्थना, दुर्गा सप्तशती का पाठ और आरती की गई। सैकड़ों भक्तों ने इसमें भाग लिया और इस दिव्य वातावरण का आनंद लिया। सनातन धर्म के आदर्शों से प्रेरित होके 30 भक्तों के एक विशाल समूह ने स्वामी प्रबुद्धानंदजी से सनातन परंपरा में दीक्षा ली। स्वामीजी और आईवीएस के माध्यम से ‘श्री भगवान’ की असीम कृपा मानवता पर बरस रही है। ईश्वर की जीवंत प्रकाश ही है जो विश्वभर से भक्तों को आकर्षित कर रहे है। यहां से जुड़के लोग ध्यान, भक्ति, सेवा और वेदों, उपनिषदों के ज्ञान के माध्यम से, श्री भगवान की असीम कृपा एवं नए जीवन प्राप्त करते है।
आई भी एस की और से काशीवासियों से आवेदन है के इस मुहिम को आगे बढ़ाने में अपना आंतरिक सहयोग दे। काशी के भक्तों के लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि हम अपना समय, श्रम और शक्ति से योगदान करके इस महान कार्य को आगे बढायें। क्योंकि ये कार्य वाराणसी आश्रम से शुरू होके पूरे विश्व में लोगों तक पहुंच रहे है और इसे सिखने, पाने के लिए अधिक से अधिक लोग जुड़ रहे है। आगे २-३rd जनवरी २०२६ को श्री भगवान के ८५ थे जन्मदिन के अवसर पर काशी में एक भव्य उत्सव का आयोजन है जिस में संस्था के अन्य सारे शाखा और विदेशों से भक्त, साधु संन्यासी, माताजी उपस्थित रहेंगे।










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