वाराणसी कचहरी परिसर में बड़ागांव थाने के दरोगा मिथिलेश प्रजापति की पिटाई और बड़ागांव थाने में अधिवक्ताओं से दुर्व्यवहार प्रकरण की मजिस्ट्रियल जांच कराई जाएगी। जांच पूरी होने तक किसी अधिवक्ता की गिरफ्तारी नहीं होगी। मजिस्ट्रियल जांच के निष्कर्षों के आधार पर ही आगे की कार्रवाई तय होगी।
अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि यदि किसी पुलिसकर्मी की भूमिका सामने आती है तो उसके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी। बड़ागांव थाने के विवाद के चलते ही कचहरी परिसर में बवाल हुआ था। आपसी सहमति के बाद अधिवक्ताओं ने आंदोलन स्थगित कर दिया और सोमवार से न्यायिक कामकाज शुरू करने का एलान किया। यह भी तय हुआ कि महीने में एक बार पुलिस और अधिवक्ताओं की संयुक्त बैठक होगी, जिसमें समस्याओं का समाधान निकाला जाएगा।
रविवार शाम मंडलायुक्त एस. राजलिंगम, पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल और डीएम सत्येंद्र कुमार की मौजूदगी में कैंप कार्यालय पर पुलिस-अधिवक्ता प्रतिनिधियों की बैठक हुई। इसमें सेंट्रल और बनारस बार की 11 सदस्यीय कमेटी के पदाधिकारी शामिल रहे।बैठक में यह भी निर्णय हुआ कि रथयात्रा क्षेत्र में अधिवक्ता शिवा सिंह से हुए विवाद में एकतरफा कार्रवाई नहीं की जाएगी और आरोपी इंस्पेक्टर की तहरीर पर क्रॉस एफआईआर दर्ज नहीं होगी। पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल ने कहा कि मजिस्ट्रियल जांच पूरी होने तक किसी भी तरह की कानूनी कार्रवाई नहीं की जाएगी। वहीं, बनारस बार अध्यक्ष सतीश कुमार तिवारी ने कहा कि अधिवक्ता जांच में पूरा सहयोग करेंगे।









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