वाराणसी न्यायालय परिसर में घटी घटना ने शिक्षा और शिक्षित की परिभाषा को शर्मसार किया जहाँ लोग न्याय की आस लगाए वकीलों को रहनुमा मानकर न्यायालय जाते हैं अधिवक्ता न्याय के लिए आम इंसान का प्रतिनिधित्व करता है आज उन्ही अधिवक्ताओं ने शर्मसार कर दिया पेशे को आज कानून के रखवालों को जिस तरह अधिवक्ताओं ने घेर कर मारा उस से यह स्पष्ट होता है की क़ानून की पढ़ाई कर के काला कोट पहन कर हर कोई शालीन और शिक्षित नहीं हो सकता यदि उन्हें दो दिन पूर्व अधिवक्ता संग घटी घटना के लिए उपद्रवी अधिवक्ता पुलिस से लड़ना चाहते थे तो कलम और न्यायालय का सहारा लेते किन्तु एक दरोगा जो कचहरी किसी कार्यसरकार से ही गया होगा उसे इस तरह झुण्ड बना कर बुरी तरह मारना पीटना ये दर्शाता हैं की काले कोट वाले ये अधिवक्ता रुपी लोग दहशत गर्द भी हैं अधिवक्ता जैसे पेशेवर लोगों से ऐसी उम्मीद समाज नहीं कर सकता जिस तरह दरोगा की पिटाई हुई उस दरोगा को गंभीर स्थिति में ट्रामा सेंटर रेफर किया गया है जहाँ वरिष्ठ अधिवक्ता गण ने कहा की कानून दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करे अधिवक्ता समाज दोषियों का सहयोग और समर्थन नहीं करेगा वहीं अब देखना है वाराणसी पुलिस और पुलिस के मुखिया पुलिस आयुक्त कैसी कठोर कार्यवाही करते हैं









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