काशी में तिब्बत-कैलाश मानसरोवर मुक्ति पर हुआ मंथन:तिब्बत की रक्षा मंत्री बोलीं – कैलाश मानसरोवर की मुक्ति से तिब्बत की मुक्ति का होगा मार्ग प्रशस्त

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कैलाश मानसरोवर और तिब्बत की मुक्ति के उद्देश्य को लेकर देश में कई सम्मेलन के बाद काशी में अंतरराष्ट्रीय मंथन हुआ। शिवधाम कैलाश मानसरोवर तिब्बत फ्रीडम एसोसिएशन के राष्ट्रीय अधिवेशन में कैलाश मानसरोवर के लिए एक राय की गयी।

इसमें मुख्य अतिथि तिब्बत की निर्वासित सरकार (Central Tibetan Administration – CTA) की रक्षा मंत्री डोल्मा गायरी रहीं। जिसमें उन्होंने मानसरोवर यात्रा और मुक्ति की इस मुहीम को सराहा। उन्होंने कहा हम भी चाहते हैं की कैलाश मानसरोवर को जल्द से जल्द मुक्त किया जाए ताकि हम भी वहां दर्शन करने जा सकें।

ऐसे होगा तिब्बत की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त
दलाई लामा 1959 में भारत आये तो तिब्बत की जनसंख्या 6 मिलियन थी। उस समय 60 लाख थी। उसमें से एक लाख भी उनके साथ नहीं आये थे। वो सिर्फ 60 से 80 हजार लोग निर्वासित होकर भारत पहुंचे।

ज्यादातर लोग अभी भी चीन के कब्जे में तिब्बत में हैं। अभी भी तिब्बत में लोग हैं। हम 2009 से नॉन वॉयलेंस प्रोटेस्ट कर रहे हैं। बाहर आंदोलन चल रहा है। नया चैप्टर लेकर मानवेन्द्र जी लेकर आये हैं मानसरोवर मुक्ति का। इससे तिब्बत की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होगा।

यूपी समेत विभिन्न प्रदेशों से डेलीगेट्स जुटे
राष्ट्रीय अधिवेशन में यूपी समेत विभिन्न प्रदेशों से डेलीगेट्स इस अधिवेशन में पहुंचे थे।, जो इस आंदोलन के लिए अपनी टीम बनाएंगे। SDTFA के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष मानवेन्द्र सिंह मानव ने बताया कि कैलाश मान सरोवर की यात्रा और सहजता के लिए देश में कई मंथन शिविर हो चुके हैं।

काशी में तिब्बत की रक्षा मंत्री का भारत में SDTFA के मंच पर आना केवल एक उपस्थिति नहीं, बल्कि यह सांस्कृतिक-आध्यात्मिक एकता और तिब्बत की स्वतंत्रता के संकल्प को मजबूत करने का प्रतीक है। इस बार हमने अधिवेशन के लिए काशी को चुना है। सांस्कृतिक विरासत के जरिए इसमें अभियान को नई ऊर्जा मिलेगी।

इसके अलावा विशिष्ट अतिथियों में तिब्बत शिक्षा संस्थान के प्रोफेसर जम्पा समतेन, महात्मागांधी विवि के प्रोफेसर विजय कौल, भारतीय कुश्ती संघ के चेयरमैन संजय सिंह बबलू, माध्यमिक शिक्षक संघ की प्रदेश उपाध्यक्ष रितिका दुबे शामिल हुईं।

इस अधिवेशन में वीडीए मेंबर अम्बरीश सिंह भोला, बीएचयू के शिक्षक डा. धीरेंद्र राय, शिक्षाविद पूजा दीक्षित, सुमित सिंह, काशी विद्यापीठ के प्रोफेसर ओमप्रकाश सिंह, कबीर पाकट्य स्थली के महंत गोविंद दास ने भी अपना पक्ष रखा और मानसरोवर मुक्ति की बात कही।

मानवेन्द्र सिंह ने बताया – इस अधिवेशन में हमारी मुक्ति यात्रा का निर्णायक कदम सिद्ध होगा। उनका भारत आगमन कैलाश मानसरोवर और तिब्बत की मुक्ति के उद्देश्य को वैश्विक मंच पर और अधिक मजबूती प्रदान करेगा।

कैलाश मानसरोवर-तिब्बत मुक्ति जनआंदोलन को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से समर्थन दिलाने के लिए यह कार्यक्रम अत्यंत रणनीतिक कदम माना जा रहा है। रक्षा मंत्री की उपस्थिति से न केवल आंदोलन को वैचारिक शक्ति मिली है, बल्कि भारत-तिब्बत सांस्कृतिक धरोहर के साझा सरोकार भी सुदृढ़ हुए हैं।

 

रिपोर्ट विजयलक्ष्मी तिवारी

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