लोको पायलट प्रतिदिन पूरे भारतवर्ष में हजारों रेल गाड़ियां एवं माल गाड़ियों को प्रतिदिन हर मौसम में चलाने का काम करते है लोको पायलट अपनी गाड़ी को जहां से वह अपना ड्यूटी शुरू करता है और जहां समाप्त करता है उस दौरान सैकड़ो सिंगल रेल फाटक पुल पुलिया सुरंग एवं मोड को पार करते हुए उस रेलगाड़ी को सुरक्षित पहुंचाने का काम करता है
लोको पायलट जब किसी सिग्नल को देखता है तो उसे 5 सेकंड के अंदर सिंगल के संकेत के मुताबिक अपनी प्रक्रिया देनी पड़ती है कुछ सेकेंड चूक या देरी हुई तो सिंगल के संकेत को गलत समझ लिया तो ब्रेक लगाने में देर की तो दुर्घटना हो जाने की संभावना बनी रहती है

रिपोर्ट अशोक कुमार गुप्ता











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