ग्रामीण क्षेत्र की जर्जर सड़कों से आवागमन संकट, गड्ढामुक्त अभियान खोखला साबित, सड़कें इतनी टूटी कि पैदल चलना भी मुश्किल, विभाग पर अनदेखी का आरोप

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चन्दौली इलिया। ग्रामीण क्षेत्र की कई मुख्य व संपर्क मार्ग इतनी जर्जर अवस्था में पहुँच चुकी हैं कि लोगों का सामान्य आवागमन भी बाधित हो गया है। स्थिति यह है कि पैदल चलने वालों के पैर तक में गिट्टियां चुभ रही हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि शासन का गड्ढामुक्त अभियान केवल कागजों तक सीमित होकर रह गया है। शिकायतों के बावजूद विभागीय अधिकारियों का ध्यान इन सड़कों की मरम्मत पर नहीं है। वर्षों से मरम्मत न होने के कारण जगह-जगह गड्ढे बन गए हैं और कई मार्गों पर पैदल चलना भी दुश्वार हो गया है। हालात बताती रिपोर्ट,

एक दर्जन गांवों के ग्रामीणों का आवागमन संकट में, चकिया–इलिया मार्ग से सुल्तानपुर, नसोपुर, खोजापुर, रामशाला, ईसापुर, घुरहूपुर समेत कई वनांचल क्षेत्रों को जोड़ने वाली सड़क करीब तीन किलोमीटर तक बुरी तरह क्षतिग्रस्त है। हालात ऐसे हैं कि बाइक से गुजरना भी जोखिम भरा हो गया है।

डेढ़ दशक बाद भी नहीं सुधरी शाहपुर लिंक रोड, सैदूपुर–बेलावर मार्ग से शाहपुर गांव को जोड़ने वाली लगभग एक किलोमीटर लंबी सड़क डेढ़ दशक पूर्व बनाई गई थी, लेकिन तब से अब तक इसकी मरम्मत नहीं हुई। अंधेरा होने पर लोग इस मार्ग पर पैदल चलने से भी कतराते हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि वर्षों से शिकायत करने के बावजूद जिम्मेदार अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे।

दो वर्ष में ही उखड़ गई गिट्टियां, मनकपड़ा से इलिया मार्ग की गिट्टियां निर्माण के महज दो वर्ष बाद ही उखड़ गईं। अब पूरी सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे बन गए हैं। कुछ जगहों पर ग्रामीणों ने स्वयं मिट्टी व ईंटों की टुकड़ी डालकर किसी तरह रास्ता चलने लायक बनाया है।

चार किमी का मार्ग मौत का सफर, चकिया–इलिया मार्ग से लेवा–इलिया मार्ग को जोड़ने वाली करीब चार किलोमीटर सड़क इतनी खराब है कि दोपहिया वाहन से चलना भी खतरे से खाली नहीं। इस रास्ते से बनरसिया, माल्दह बेन, शिवपुर, धनरिया, सीहर, खरौझा सहित कई गांवों के लोग ब्लॉक व जिला मुख्यालय तक जाते हैं। ग्रामीणों ने अधिकारियों से तत्काल मरम्मत की मांग की है।

“हर साल शिकायत करते हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। सड़क टूटने से सबसे ज़्यादा परेशानी बच्चों और बुजुर्गों को उठानी पड़ रही है।”निबाहूं मौर्या “गड्ढों में हर दिन वाहन फँसते हैं। कई बार दुर्घटनाएँ भी हो चुकी हैं। अधिकारी सिर्फ आश्वासन देते हैं, काम कुछ नहीं होता।”संतोष कुमार

“सड़क की स्थिति ऐसी है कि रात में चलना जान जोखिम में डालने जैसा है। दो दशक से मरम्मत की मांग कर रहे हैं, पर कोई कार्रवाई नहीं।”विवेक कुमार पांडेय “हम लोग खुद टुकड़ी भरकर रास्ता बना रहे हैं। सरकार विकास की बात करती है, लेकिन गांव की सड़कें किसी को नहीं दिखतीं।

रिपोर्ट अलीम हाशमी

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