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नई दिल्लीः जेल में बंद मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों को हटाने से जुड़े बिलों पर संयुक्त संसदीय समिति ( जेपीसी ) बनाने की बात चल रही है। एनडीए सरकार इस बारे में कांग्रेस से लगातार बात कर रही है कि कौन से सांसद इस समिति में शामिल होंगे। लेकिन कांग्रेस ने अभी तक कोई नाम नहीं दिया है। ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस पर दबाव है, क्योंकि उसके कुछ सहयोगी दल इस जेपीसी का बहिष्कार कर रहे हैं। विपक्षी दलों के बहिष्कार की संभावना के बीच, संसद ने अभी तक 31 सदस्यीय जेपीसी को अधिसूचित नहीं किया है, जिसे लोकसभा ने 20 अगस्त को तीन बिल भेजे थे।

बताया जा रहा है कि एक वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री विपक्षी दलों के साथ बातचीत कर रहे हैं। इस बीच, कांग्रेस ने जन विश्वास संशोधन विधेयक और दिवाला और दिवालियापन संहिता संशोधन विधेयक पर लोकसभा की दो सेलेक्ट कमेटियों में दो-दो सदस्यों को नामित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। लेकिन जेपीसी पर कांग्रेस पार्टी अभी भी चुप है।

कई विपक्षी दल जेपीसी का बहिष्कार कर चुके हैं

कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि जेपीसी के बहिष्कार की संभावना है। समाजवादी पार्टी (सपा) ने तृणमूल कांग्रेस ( टीएमसी ) के साथ मिलकर बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया है। आम आदमी पार्टी (AAP) और शिवसेना भी ऐसा ही कर सकती हैं। हालांकि कांग्रेस जेपीसी में शामिल होना चाहती है, लेकिन कई विपक्षी दलों ने अलग राह चुन ली है। मार्क्सवादी पार्टी ने भी जेपीसी से बाहर रहने का फैसला किया है। इस सब वजहों से विपक्षी एकता में भी दिक्कत आ रही है। खासकर मॉनसून सत्र में बिना किसी परेशानी के साथ काम करने के बाद यह समस्या आई है।

डेरेक ओब्रायन ने जेपीसी का इतिहास बताया

बीते शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओब्रायन ने कहा था कि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को 30 दिन तक जेल में रहने पर पद से हटाने से संबंधित विधेयकों पर विचार के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) पर विश्वास नहीं किया जा सकता। उन्होंने यह बात ऐसे समय कही है जब कई विपक्षी दलों ने घोषणा की है कि वे समिति में शामिल नहीं होंगे। ओब्रायन ने जेपीसी के समक्ष विपक्ष की आपत्तियों के उदाहरण सूचीबद्ध किए, जिनमें आमतौर पर सत्ता पक्ष के सदस्यों का दबदबा होता है। उन्होंने जेपीसी पर विश्वास न कर पाने के छह कारण शीर्षक से लिखे एक ब्लॉग में पुराने मामलों का जिक्र किया, जिनमें विपक्ष ने जेपीसी के समक्ष आपत्तियां जताई थीं।

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