वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट के सभी थानों और चौकियों को डेसीबल मीटर प्रदान करने की माँग

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वाराणसी, 7 दिसंबर 2025

ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ अभियान चलाने वाली राष्ट्रीय संस्था ‘सत्या फाउण्डेशन’ के 4 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने कल शनिवार को वाराणसी के पुलिस आयुक्त, मोहित अग्रवाल को ज्ञापन देकर माँग की कि सभी थानों और पुलिस चौकियों को डेसीबल मीटर प्रदान किया जाए, जिस पर पुलिस आयुक्त ने गम्भीरतापूर्वक विचार करने का आश्वासन दिया। संस्था के संस्थापक सचिव, चेतन उपाध्याय ने पुलिस आयुक्त महोदय से कहा कि अगर ऐसा हुआ तो पूरे उत्तर प्रदेश में वाराणसी ऐसा पहला जिला बन जाएगा जहाँ पर सभी थानों और चौकियों के पास डेसीबल मीटर उपलब्ध होगा।

क्या होगा डेसीबल मीटर का फायदा?

भारत सरकार के ध्वनि प्रदूषण (विनियमन व नियंत्रण) नियम-2000 (कृपया इसे पर्यावरण संरक्षण अधिनियम-1986 के साथ
जोड़कर पढ़ा जाए) के मुताबिक, रात के समय यानी रात 10 बजे से सुबह 6 बजे की बीच तो साउंड को पूरी तरह से स्विच ऑफ करने का प्रावधान है और इस दौरान साउंड सिस्टम को सीज करने और मुकदमा करने के लिए किसी डेसीबल मीटर की कोई आवश्यकता ही नहीं है। मगर भारत सरकार के उपरोक्त नियम के अनुसार ही, दिन के लिए भी डेसीबल की ऊपरी सीमा
तय है और इसका उल्लंघन होने के कारण लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और तेज कंपन के कारण
कहीं घर की दीवार गिर जाती है तो कहीं लोगों को हार्ट अटैक आ जाता है। वैसे तो आजकल, दिन के दौरान भी तेज
ध्वनि की शिकायत मिलने पर पुलिस मौके पर जाती है, मगर डेसीबल मीटर के अभाव में कई बार कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित
नहीं हो पाती। डेसीबल मीटर होने से दिन के दौरान भी तेज आवाज पर रोकथाम और प्रभावी कानूनी कार्रवाई हो सकेगी।

ध्वनि प्रदूषण पर प्रभावी नियंत्रण के लिए कुछ अन्य माँगें भी रखी गईं:-

रात्रि 10:00 बजे के बाद पुलिस द्वारा ध्वनि प्रदूषण को बंद कराने के बाद, कुछ ‘मजबूत’ लोग दोबारा से ध्वनि प्रदूषण करना
शुरू कर दे रहे हैं जो कि सीधे-सीधे देश के कानून और पुलिस के इकबाल को चुनौती देने जैसा है और इसके पीछे कारण
यह बताया जा रहा है कि लोगों को यह लगता है कि इसमें कोई कानूनी कार्रवाई नहीं होगी। अतः यह आवश्यक है कि रात 10 बजे के बाद पुलिस टीमें गठित करके इलाकेवार पुलिस द्वारा Suo Motto यानी स्वत: संज्ञान लेते हुए, साउंड सिस्टम
को ज़ब्त करके पर्यावरण संरक्षण अधिनियम-1986 के तहत मुकदमा करने के कार्य को मिशन मोड में किया जाए।

उत्सव या धार्मिक कार्यक्रम करने वाला हर व्यक्ति / धार्मिक स्थल / संगठन एक दिन की बात कह कर ध्वनि की दिन की डेसीबल सीमा या /और रात की समय सीमा का उल्लंघन करने को जायज सिद्ध करना चाहता है और कुछ पुलिसकर्मी भी, ‘एक दिन की बात’ वाले तर्क को स्वीकार कर, मांगलिक और धार्मिक कार्यक्रमों में, कथित तौर पर ‘धीमी आवाज’ में साउंड सिस्टम को बजाने की अलिखित अनुमति दे देते हैं और आसपास की जनता परेशान होती रहती है, जबकि रात

10 से सुबह 6 बजे तक साउंड को 100% स्विच आफ करने का नियम है। इसलिए यह निवेदन है कि 112 नंबर की पुलिस

और सभी थानों से जुड़े पुलिस बल को यह लिखित रूप में ताकीद की जाए कि रात 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच,

चाहे शादी-विवाह या धार्मिक पाठ का कार्यक्रम ही क्यों ना हो, साउंड को 100% स्विच आफ कराने का नियम है

और इस आदेश को न मनवाने वालों पर भी विभागीय कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।

पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल ने सभी बातों को ध्यानपूर्वक सुना और पढ़ा और उचित कार्यवाही का भरोसा दिया।

 

 

रिपोर्ट – जगदीश शुक्ला

 

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