कोटेदार द्वारा राशन मे कटौती राशनकार्ड धारक परेशान
अम्बेडकर नगर जिले के विकासखंड जहांगीरगंज अंतर्गत ग्राम पंचायत शिवराज पट्टी में राशन वितरण में गंभीर अनियमितताएँ सामने आई हैं। ग्राम पंचायत के कोटेदार विश्वनाथ वर्मा द्वारा वितरित किए जा रहे सरकारी कई बोरे में चावल और गेहूं में भारी मात्रा में खड़ा नमक पाया गया है।
कोटेदार व्दारा राशन मे कटौती राशनकार्ड धारक परेशान।राशन कार्ड उपभोक्ताओं का आरोप है कि उन्हें मिलने वाले कई गेहूं के बोरे में लगभग 4 से 8किलो से अधिक नमक मिला है जिससे साफ पता चलता है कि खाद्यान्न की गुणवत्ता बेहद खराब है भ्रष्टाचार और गरीबों के हक पर सीधा प्रहार किया जा रहा है।
जब उपभोक्ताओं ने इस बारे में कोटेदार से पूछा गया तो कोटेदार विश्वनाथ वर्मा ने जवाब दिया हम क्या करें हमें जैसा गेहूं मिलता है, हम वैसा ही बांटते हैं। बोरे में नमक पहले से मिला आता है।इससे स्पष्ट होता है कि खराब अनाज की सप्लाई पहले ही स्तर पर की जा रही है।एफसीआई और ठेकेदार की घोर लापरवाही भ्रष्टाचार उजागर राशन व्यवस्था पर करारा तमाचा गांव शिवराज पट्टी में बोरे-बोरे में नमक मिला, उपभोक्ता भड़क उठे।
वहीं कई राशनकार्ड धारकों ने बताया कि कोटेदार के द्वारा पर यूनिट पर 2 किलो राशन काट लिया जाता है। तहसील आलापुर क्षेत्र के सप्लाई इंस्पेक्टर अजय कुमार वर्मा से जब फोन पर जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि यह खाद्यान्न एफसीआई गोदाम शाहगंज जौनपुर जनपद आजमगढ़ जनपद से सटे उठान कर कोटेदारों को वितरित किया जाता है।
उन्होंने स्वीकार किया कि एफसीआई गोदाम और ठेकेदार की लापरवाही के कारण ही यह समस्या खड़ी हुई है। गुणवत्ता सही नहीं है, जिसके कारण गरीब उपभोक्ताओं को खराब राशन मिल रहा है।
गरीबों के हक पर डाका गुणवत्ता पर बड़ा सवाल राशन वितरण प्रणाली में इस तरह की गुणवत्ता में कमी और खड़ा नमक मिलने की घटना खाद्यान्न आपूर्ति विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार, अनियमितता और लापरवाही की ओर इशारा करती है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या एफसीआई गोदाम में खाद्यान्न की ठीक से जांच नहीं होती।
ठेकेदार और कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध क्यों है गरीबों को घटिया अनाज देकर किसकी जेब भरी जा रही है,ग्राम पंचायत के राशन कार्ड उपभोक्ताओं ने कहा कि राशन वितरण में 2 केजी पर यूनिट पर राशन काट लेतेहैं कोटेदार एवं इस मामले में कोटेदार सहित उच्चस्तरीय जांच की मांग की है गांव जनता।
गांव शिवराज पट्टी में सामने आया यह मामला न केवल खाद्यान्न प्रणाली की खामियों को भ्रष्टाचार उजागर करता है, बल्कि गरीबों के हक को खुलेआम लूटने वाली भ्रष्ट मानसिकता को भी सामने लाता है। यदि समय रहते ठोस कार्रवाई नहीं की गई तो ऐसी भ्रष्टाचार लापरवाही से लाखों उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य और अधिकारों पर गंभीर खतरा मंडरा सकता है गरीबों के हक को लूटा जा रहा है।
रिपोर्ट – पंकज कुमार









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